सम्पादक :- दीपक मदान
एम्स ऋषिकेश के स्त्री रोग विभाग के तत्वावधान में सर्वाइकल कैंसर, ओरल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर स्क्रिनिंग विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसके माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों ने गायनी विभाग के एमडी छात्र-छात्राओं व नर्सिंग इंटर्नंस को इस तरह के कैंसर की बीमारियों की स्क्रिनिंग संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि इन तीनों तरह की कैंसर की बीमारियों की जल्दी स्क्रिनिंग के साथ साथ समुचित उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के स्त्री रोग विभाग की ओर से बच्चेदानी के मुंह के कैंसर (सर्विक्स कैंसर), स्तन कैंसर व ओरल कैंसर विषय पर आयोजित कार्यशाला का मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डाॅ.) मीनू सिंह, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी व प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग प्रो. स्मृति अरोड़ा ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि इन तीनों तरह के कैंसर की रोकथाम करने के लिए टेलिमेडिसिन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए गांव- गांव तक लोगों को जागरुक किया जा सकता है। उन्होंने स्त्री रोग विभाग से टेलिमेडिसिन सुविधा का इस्तेमाल करते हुए सुदूरवर्ती क्षेत्रों की महिलाओं को बच्चेदानी के मुंह, ओरल व ब्रेस्ट कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने का आह्वान किया। जिससे अधिकाधिक लोगों को इस तरह के कैंसर से सुरक्षा दी जा सके। डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि अस्पताल में आने वाले हरेक मरीज की स्क्रिनिंग को चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ द्वारा प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे इस तरह के कैंसर की पहचान हो सके और समय रहते उपचार संभव हो पाए। कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल प्रो. स्मृति अरोड़ा ने कहा कि नर्सिंग ऑफिसर्स गंभीरता से मरीजों की स्क्रिनिंग पर ध्यान दें तो कैंसर के बढ़ते मामलों का दबाव कम किया जा सकता है। इससे मरीजों को जीवनदान तो मिलेगा ही साथ ही साथ उनके ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को भी कम किया जा सकता है। गायनी विभाग की प्रोफेसर व आईसीएमआर टास्क फोर्स की इन्वेस्टीगेटर अनुपमा बहादुर ने बताया कि स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में आने वाली प्रत्येक महिला व युवती की गर्भाशय के मुंह( कैंसर सर्विक्स), स्तन व ओरल कैंसर की स्क्रिनिंग सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि यह तीनों कैंसर के ऐसे प्रकार हैं जिन्हें जल्दी पकड़ा जा सकता है, साथ ही इनका समुचिततौर पर उपचार संभव है। प्रो. अनुपमा बहादुर के अनुसार इन कैंसर के स्क्रिनिंग टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है जिससे बीमारी की पता लगाकर त्वरित जांच के उपरांत बेहतर इलाज किया जा सकता है। डेंटल विभागाध्यक्ष डा. आशी चुघ ने ओरल कैंसर के बाबत विस्तृत जानकारियां दी। गायनी विभाग की फैकल्टी डा. कविता खोईवाल ने कैंसर सर्विक्स गर्भाशय के मुंह के कैंसर के लक्षण, कारण एवं बचाव के उपाय बताए। डा. राजलक्ष्मी मुंदड़ा ने बताया कि कम संसाधनों में भी बच्चेदानी के मुंह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है, इस दिशा में महिलाओं को जागरुक होने की आवश्यकता है,लिहाजा उन्हें इस तरह की सुविधा वाले अस्पतालों में जाकर नियमिततौर पर इसकी स्क्रिनिंग करानी चाहिए। डा. अमृता गौरव ने कोल्पोस्कोपी द्वारा गर्भाशय के मुंह के कैंसर की स्क्रिनिंग प्रणाली की जानकारी दी, जबकि डा. लतिका चावला ने बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाव के लिए उपलब्ध एचपीवी वैक्सीन का महत्व समझाया। इस अवसर पर नर्सिंग फैकल्टी राज राजेश्वरी, प्रसूना जैली, लीजा, रूपेंद्र देयोल आदि मौजूद थे।