December 23, 2024 12:56 pm

December 23, 2024 12:56 pm

76 साल पहले हम बेघर कर दिए गये और अपने ही देश में नाम मिला :- प्रवीण कुमार।

सम्पादक :- दीपक मदान

अपने देश की आज़ादी के जश्न का मौक़ा आता है तो देश का विभाजन भी याद आता है तिनका तिनका जोड़ कर ज़ो घर बनाया था वो घर हम लावारिस छोड़ आए भारत आकर अपने ही देश में हम रिफ़्यूजी कहलाये ख़ौफ़ और आतंक के समुद्र क़ो पार करके आए उन आधे अधूरे इंसानो की जो अपने परिवार के अज़ीज़ों की लाशें पीछे छोड़ थे।

जलाए दफ़नाए और बहाए बग़ैर खुले आसमान के नीचे नंगी ज़मीन पर उन अपने लोगों की लाशें छोड़ कर आना जिनके इर्द गिर्द ही ज़िंदगी का ताना बाना बुना हो इससे भयंकर और दर्दनाक क्या हो सकता था अपनी क़िस्मत को रंग रोगन करने में जुटे दादा के बाल एक रात में ही सफ़ेद हो गये।

शत् शत् नमन उन महान पुरखों को जिन्होंने हार नहीं मानी, ना भीख़ माँगी और देखते ही देखते सब कुछ उजड़ जाने के बावजूद अपने पैरों पर स्वाभिमान के साथ फिर खड़े हो गये आज ही के दिन हिंदुस्तान के 2 टुकड़े धर्म के लिए किए गये थे।

हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए 10 लाख़ से अधिक कुर्बानियाँ दी गयीं उन्ही अपने शहीद पूर्वजों क़ो श्रद्धांजलि देने के लिए कल 14 अगस्त दिन सोमवार क़ो सुबह 12 बजे अपने पूर्वजों की याद में कनखल श्मशान घाट पर टिन शेड लगवाने का कार्य शुरू करवाया जाएगा। उसके बाद शाम 4.30 बजे उनकी आत्मा की शान्ति के लिए शहीद भगत सिंह घाट पर दीप दान का कार्यक्रम किया जायेगा।

 

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