अत्यंत ही शर्मनाक बात है की हम चंद पैसों के लिए अपने इष्ट को भी बाजारों में बेचने से बाज नहीं आ रहे है जब श्रृंगार का यह पैकिंग प्रशाद के पैकेट के साथ दिया जाता है तो यह मंदिर में जाने के बाद वापिस दे दिया जाता है जो की जगह जगह जमीन पर पड़ा रहता है और हम इसको पैरो के नीचे दबाकर चल देते है जिस मां की आराधना करने के लिए हम कई कई किलोमीटर से दर्शन के लिए आते है वही पर हम इस क्रिया से पुण्य की जगह पाप करके जाते है ।
इसका पूरा श्रेय जाता है इसके उत्पादनकर्ता को जो की चंद पैसों कि खातिर यह सब करता है ।
हम सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग करते है की आप इस पर संज्ञान लेते हुए इस दिशा में कठोर कदम उठाए और एक कानून पास करे जिससे की हिंदू धर्म के देवी देवताओं का अपमान होना बंद हो साथ ही सभी मंदिर समितियों से भी मांग करते हैं की आप भी अपने परिसर में इस प्रकार की सामग्री को बेचने पर अविलंब रोक लगा कर हिंदू धर्म का उपहास उड़ाने वालों के खिलाफ उचित कारवाई करे ।