नवीन शर्मा की रिपोर्ट
नीति आयोग ने उत्तराखंड के शहर हरिद्वार को पांच मानकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ आकांक्षी जिला घोषित किया है। जिससे इस शहर को अब तीन करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जायेगा। राज्य के मुख्य सचिव और हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट को लिखे पत्र में, NITI Aayog एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम डायरेक्टर राकेश रंजन ने बताया कि जिले ने बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर थीम में पहला स्थान हासिल किया है। नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक ने हरिद्वार जिले के जिला और केंद्रीय प्रभारी अधिकारियों को बधाई दी है। हरिद्वार जिले को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को आवंटित किया गया है, जो इसे देश में नंबर 1 आकांक्षी जिला बनाने में सक्रिय रुचि ले रहे हैं। हरिद्वार के जिला कलेक्टर विनय शंकर पांडे ने बताया की हरिद्वार सर्वश्रेष्ठ आकांक्षी जिला घोषित हुआ है इसलिए हमें आकांक्षात्मक जिलों के कार्यक्रम के तहत पांच मानकों पर आगे का विकास करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि ₹ 3 करोड़ की अनुदान राशि से हम आगे के विकास की कार्ययोजना तैयार करेंगे।
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम:
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम को जनवरी 2018 में ‘आकांक्षी ज़िलों का परिवर्तन’ कार्यक्रम (Transformation of Aspirational Districts’ Programme) के रूप में लॉन्च किया गया था।आकांक्षी ज़िले में भारत के वे ज़िले शामिल हैं जो ख़राब सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से प्रभावित हैं।
उद्देश्य:
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम का उद्देश्य ज़िले की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना है और तत्काल सुधार के लिये प्रभावी कारकों की पहचान करना।
जिलों की रैंकिंग के माध्यम से उनकी मासिक प्रगति की जानकारी रखना।
ज़िलों को अपने राज्य में सबसे अच्छे ज़िले के समान स्थिति में पहुँचने के लिये प्रोत्साहित करना।
प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के नारे को मूर्त रूप देना।
कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा:
इस योजना को केंद्र और राज्य की योजनाओं के साथ लागू किया जाता है। इसके सफल क्रियान्वयन में केंद्रीय, राज्य स्तरीय ‘प्रभारी’ अधिकारियों और ज़िला कलेक्टरों का अहम सहयोग होता है।
मासिक डेल्टा रैंकिंग के माध्यम से ज़िलों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बनाये रखा जाता है, जिससे वो इसको सफल बानाने के लिए उत्सुक रहे।
आकांक्षी ज़िलों की रैंकिंग, व्यावहारिक प्रशासन के साथ डेटा के अभिनव प्रयोग को सम्बद्ध करती है, जिससे ज़िले को समावेशी विकास के केंद्र में रखा जाये। आकांक्षी जिलों की योजना के मानदंडों के अनुसार, जिलों को राज्य और केंद्रीय प्रभारी अधिकारियों के परामर्श से एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए और कार्यक्रम के लिए गठित सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति के अंतिम अनुमोदन के लिए इसे नीति आयोग को भेजना चाहिए।