सम्पादक :- दीपक मदान
आज दिनांक 10 सितंबर 2022, दिन शनिवार को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सेक्टर 2 भेल रानीपुर हरिद्वार में परिवार प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ चिरंजीव (विभाग प्रचारक-हरिद्वार विभाग) कार्यक्रम अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार कटारिया (पार्षद, शास्त्रीनगर, ज्वालापुर) ,श्याम लाल शर्मा (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, फेरुपुर, रामखेड़ा) विद्यालय प्रबंधक दीपक सिंघल , विद्यालय प्रधानाचार्य नरेश कुमार चौहान ने मां सरस्वती के सम्मुख सामूहिक रुप से दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन करके किया । कार्यक्रम का संचालन श्रीमती हेमा जोशी ने किया। कार्यक्रम में आये सभी अभ्यागतों का परिचय विद्यालय के प्रधानाचार्य ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ विद्यालय की बहिनों ने मां सरस्वती वंदना एवम स्वागत गीत गाकर किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा कार्यक्रम की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला गया आपने बताया कि किस प्रकार प्राचीन काल से ही हमारे भारतवर्ष में संयुक्त परिवार की पद्धति रही है उसी पद्धति को पुनर्जीवित करना यह हमारे संस्थान का मुख्य लक्ष्य है । विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री रुद्र प्रताप शास्त्री ने कहा कि संस्कार के द्वारा ही परिवार प्रबोधन को सफल बनाया जा सकता है बालकों में सुबह उठकर माता पिता के पैर छूना ,गुरुजनों का आदर करना ऐसे संस्कार बच्चों में विकसित करने होंगे भारतीय दर्शन के अनुसार संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता चिरंजीव ने कार्यक्रम में आये सभी अभिभावकों को संबोधित करते हुए बताया कि मां बालक की प्रथम गुरु होती है। बालक का दूसरा गुरु विद्यालय के आचार्य होते हैं। बालक के जीवन की दिशा को तय करने का कार्य जितना आचार्य का होता है उतना ही दायित्व परिवार का भी होता है। परिवार का कर्त्तव्य होता है कि बच्चों में रिश्ते का भाव पैदा करें। संस्कृति को बचाये रखने का मुख्य आधार परिवार है यदि परिवार संयुक्त होगा तभी हम अपनी संस्कृति को बनाये रख सकते हैं। सभी परिवार के सदस्य 6 ‘भ ‘ का आवश्यक रूप से ध्यान रखें। भोजन, भजन, भ्रमण, भाषा, भूषा और भवन।
दिन में एक बार भोजन मिलकर करे एवम मंगल चर्चा करें। शाम के समय एक बार सभी परिवार के सदस्य भजन करें। त्योहारों में भारतीय वेश अवश्य पहने, अपनी भारतीय भाषा का अधिकतर प्रयोग करें। परिवार को चाहिए कि बच्चों के अंदर समाज के प्रति संवेदना प्रकट करवाये। कार्यक्रम के अगले चरण में श्यामलाल शर्मा ने कहा बालक को संस्कारशील बनाएं यदि बालक संस्कारशील और अभिवादन शील बनता है तो उसमें आयु विद्या यश और बल स्वतः ही विकसित हो जाते हैं । परिवार का भी दायित्व रहता है कि उसके स्वास्थ्य, संस्कार एवम उसको सही दिशा देने का काम भी परिवार का ही है। उसके उपरान्त कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार कटारिया जी ने कहा कि सबसे पहले हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए परिवार ही है जो बच्चों के अंदर संस्कृति को कायम रख सकते हैं क्योंकि जैसा परिवार के सदस्य करेंगे ठीक उसी प्रकार बालक भी वही संस्कृति का आचरण करेगा। अतः सभी परिवारों का दायित्व है कि वसुधैव कुटुम्बकं का भाव अपने परिवार में जागृत हो। आज के परिवार प्रबोधन कार्यक्रम का उद्देश्य है कि हम सभी भारतवासी अपनी संस्कृति से जुड़े रहे। विद्यालय प्रबंधक दीपक सिंघल जी ने कार्यक्रम के समापन में सभी अभिभावको /अभ्यागतों का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया । कार्यक्रम में लगभग 500 परिवार जनों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में विद्यालय का समस्त परिवार उपस्थित रहा।