सम्पादक :- दीपक मदान
रुड़की।दुनिया और आखिरत में कामयाबी चाहते हो तो रसूल और कुरान के बताए रास्ते पर चलना होगा,जो हमें सच्चाई और अच्छाई की तरफ ले जाता है।दारुल उलूम देवबंद से तशरीफ लाए हजरत मौलाना हुसैन अहमद साहब ने निकटवर्ती रामपुर स्थित मदरसा मिस्बाह उल उलूम में आयोजित सालाना जलसे के मौके पर अपने खिताब में कहा कि कुरान और हदीस की रोशनी में ही असल जिंदगी गुजारी जा सकती है,जो हमें दीन और दुनिया दोनों में कामयाबी का सबक सिखाती है।सच्चाई कभी मिट नहीं सकती जब तक जमीन,आसमान,चांद व सितारे बाकी रहेंगे तब तक सच्चाई और ईमानदारी जिंदा रहेगी।उन्होंने कहा कि इस्लाम एक ऐसा मजहब है जो सभी धर्मो और जातियों का बराबर सम्मान करने का हुक्म देता है।ईमान का दूसरा नाम ही मुसलमान है,लेकिन आज के बदले हुए इस आधुनिक दौर में लोग अल्लाह के बताए हुए रास्ते से भटक गए हैं। समाज के अंदर अनेक प्रकार की सामाजिक बुराइयां बढ़ती जा रही हैं।नशाखोरी,चुगल खोरी,गीबत,गाना-बजाना,बेशर्मी,बेहयाई और नाइंसाफी बढ़ रही है,जो दुनिया और आखिरत दोनों के लिए नुकसानदायक है।उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बच्चों की बेहतरी के लिए अच्छी शिक्षा दिलाएं और गुमराही से बचें।हजरत मौलाना सलमान साहब और मौलाना तौकीर अहमद साहब ने कहा कि मोमिन वह है जो अल्लाह और उनके भेजे आखरी पैगंबर रसूले पाक के बताए हुए रास्ते पर चलकर अपनी जिंदगी गुजारे।आज के नौजवान अल्लाह के बताए रास्ते से भटक कर गुमराह हो रहे हैं।कयामत के रोज हर मोमिन को अल्लाह की बारगाह में पेश होना है,जिसके लिए सभी को आखिरत के दिन की तैयारी करनी है,जहां हर मोमिन को अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब देना होगा।मौलाना जफर अहमद साहब ने कहा कि इस्लाम में सभी को बराबरी का हक दिया गया है।मर्दों के बराबर ही औरत के अधिकार भी इस्लाम ने हमें दिए हैं।इस्लाम में औरत की इज्जत करना मोमिन के लिए फर्ज है।लड़कियों को अच्छी शिक्षा और उनके अधिकार देने का हुकुम भी इस्लाम ने दिया है।मदरसा मिसबाहउल उलूम में हुए सालाना जलसे में कुरान हिफ्ज करने वाले चार बच्चों की दस्तारबंदी की गई और दो बच्चियों के निकाह कराए गए।जलसे का आगाज तिलावते कलाम पाक से हुआ।मौलाना मुसर्रत अली ने वार्षिक बजट पेश किया।देर रात तक हुए इस जलसे के अंत में कौम की तरक्की,देश और प्रदेश की खुशहाली और अमन-चैन व शांति की दुआ की गई।इस मौके पर कारी जव्वाद अहमद,कारी मोहम्मद सुफियान,मौलाना मोहम्मद हुसैन,कारी मोहम्मद मोहसिन,डॉ.मोहम्मद मतीन,हाफिज अब्दुस समी,हाजी मोहम्मद असलम,मोहम्मद आलम, मोहम्मद अखलाक,परवेज आलम,डॉक्टर मोईन,रईस अहमद,गुफरान अली, मास्टर फरमान अली, डॉक्टर मोहम्मद अफजल,डॉक्टर खुर्शीद अहमद,जहीर अहमद,अब्दुल मतीन,इंजीनियर मोहम्मद अफजाल,मुमताज उर्फ लुसा,काजी मकसूद,ताहिर अहमद आदि मौजूद रहे।