आज दिनांक 08-09-2023 को सरस्वती विद्या मंदिर इ 0 का0 से 2 भेल रानीपुर हरिद्वार में विश्व साक्षरता दिवस का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य श्रीमान लोकेन्द्र दत्त अंथवाल जी ने माँ सरस्वती एवम पतित पावन ॐ के सम्मुख दीप प्रज्वलन के द्वारा किया। कार्यक्रम में विद्यालय के आचार्य श्रीमान अमित कुमार जी ने सभी भैया बहिनों को संबोधित करते हुए कहा कि साक्षरता का अर्थ होता है कि शिक्षित होना । दुनियाभर की आबादी तक, हर देश, हर समाज, हर गांव, हर समुदाय तक लोगों को शिक्षित बनाना इस दिन को मनाने का उद्देश्य है. जितना ज्यादा लोग शिक्षा ग्रहण करेंगे, उतना ही बेहतर भविष्य उस परिवेश का होगा । यूनेस्को (UNESCO) ने 7 नवंबर, 1965 को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का फैसला किया। तब से हर वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
माना जाता हैं कि अधिकतर सामाजिक समस्याओं की जड़ अशिक्षा हैं। साक्षरता के अभाव में किसी भी देश की तरक्की संभव नही हैं, चाहे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, कौशल विकास, आर्थिक और तकनीकी विकास के क्षेत्रों में साक्षरता अहम भूमिका निभाती हैं।
पश्चिम एशिया तथा कुछ अफ़्रीकी राष्ट्र जो 20 सदी में आजाद हुए, उनकी साक्षरता दर खासकर महिला साक्षरता दर 50% के आस-पास हैं. जो बेहद चिंताजनक हैं. भारत के पिछड़े तथा आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की स्थति भी इस तरह ही हैं।
इस दिन को एक कार्यक्रम के रूप में मनाना भी पर्याप्त नही हैं। स्थानीय, निकायी और राष्ट्रिय सरकारों को भी साक्षरता दर में बढ़ोतरी हेतु सकारात्मक कदम और योजनाएं बनानी होगी । भारत में सर्व शिक्षा अभियान इस दिशा में उत्कृष्ट कदम हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यदि हम वैश्विक परिद्रश्य को देखे तो करीब 80 करोड़ से अधिक युवा अभी तक शिक्षा से नही जुड़ जाए हैं। इतनी बड़ी आबादी में अशिक्षित रहने वाले लोगों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की हैं , यानि प्रति 3 में से 2 महिलाएं या तो पूर्ण रूप से अशिक्षित हैं अथवा वो नियमित रूप से शिक्षा ग्रहण नही कर पाई हैं। अक्सर प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर तक आते आते लड़कियों को स्कुल भेजना बंद कर दिया जाता हैं।
समाज की यह सोच चिंता का विषय हैं. दूसरी तरफ 6 से 14 वर्ष की आयु के 8 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जो शिक्षा से पूर्ण रूप से कटे हुए हैं, या तो वे बाल मजदूरी करते है अथवा उन्हें घर के काम में ही लगा दिया जाता हैं।अनपढ़ व्यक्ति इन सब सुविधाओं से वंचित रह जाता हैं. कूपमंदुप की भांति वह अपनी छोटी सी दुनियां में ही मशगुल रहता हैं. वह वास्तविक संसार से पूर्णतया कटा हुआ रहता हैं,
वह न तो अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों का उपयोग कर पाता है और ना ही सुविधाओं का उपयोग कर पाता हैं. आज व्यक्ति का साक्षर होना अनिवार्य हो गया हैं। निरक्षरता एक दुर्गुण बन गया हैं। अतः आज के इस कार्यक्रम को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज को साक्षरता के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम की अगली कड़ी में नंद सिंह जी ने कहा कि समाज मे जातिवाद, भेदभाव को दूर करने के लिए साक्षर होना आवश्यक है। हम ये प्रण करे कि हमे किसी भी एक व्यक्ति को साक्षर करेंगे। कार्यक्रम के समापन में प्रवीण जी ने कहा कि अभी भी भारत मे 20 करोड़ लोग अशिक्षित है जिसके तीन प्रमुख कारण हैं 1. देश की बढ़ती जनसंख्या, 2. रहने का स्थान, 3. बालिकाओं को विद्यालय न भेजना। आपने बताया कि विश्व साक्षरता दिवस के कारण ही आज समाज मे जागरूकता आई है। कार्यक्रम में मंजू सिंह, लीना शर्मा, भानु प्रताप सिंह, अंजली, दीपक कुमार, देवेश आदि उपस्थित रहे।