सम्पादक :- दीपक मदान
आज दिनांक 16 सितंबर 2023 को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सेक्टर 2 रानीपुर भेल हरिद्वार में विश्व ओजोन दिवस एवं विश्वकर्मा दिवस का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रवीण कुमार ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन के द्वारा किया। कार्यक्रम में विद्यालय के आचार्य दिग्मांशु बडोनी ने विश्व ओजोन दिवस के बारे में सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि 16 सितंबर को पूरी दुनिया में यह विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। जीवन के लिए ऑक्सीजन से ज्यादा जरूरी ओजोन है। मुख्यतया इस दिवस का आयोजन करने की वजह यह है कि ओजोन परत के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसे बचाने के समाधान की ओर ध्यान एकत्रित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
ओजोन, ऑक्सीजन के 3 परमाणु से मिलकर बना हुआ एक प्रकार की गैस है जो वायुमंडल में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है या समुद्र तट से 30 या 32 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसकी क्षमता अधिक होती है। यह तीखे गंद वाली विषैली गैस है जिसका आईपीसी नाम tricks John है, इसका घनत्व 2.14 किलोग्राम/ मीटर क्यूब होता है। ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों को धरती से आने से रोकती हैं।
पराबैंगनी विकिरणों से धरती पर रहने वाले मनुष्य, जीव जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह विकिरण त्वचा का कैंसर, मोतियाबिंद तथा जलीय जीवों को भी हानि पहुंचा सकती हैं। इस कारण ही ओजोन परत को रक्षी परत भी कहा जाता है। कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यालय के आचार्य संजय गुप्ता ने विश्वकर्मा दिवस के ऊपर बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस, एक हिंदू भगवान विश्वकर्मा, दिव्य वास्तुकार के लिए उत्सव का दिन है। उन्हें स्वायंभु और विश्व का निर्माता माना जाता है।उन्होंने द्वारका के पवित्र शहर का निर्माण किया जहां कृष्ण ने शासन किया, पांडवों की माया सभा, और देवताओं के लिए कई शानदार हथियारों के निर्माता थे।उन्हें निर्माणकार्ता, इंजीनियर , वैज्ञानिक जगतकार्ता ईश्वर कहते हैं।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यालय की आचार्या श्रीमति सोनिया ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। आपने कहा कि धर्म शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्माजी के पुत्र ‘धर्म’ की सातवीं संतान जिनका नाम ‘वास्तु’ था। विश्वकर्मा जी वास्तु के पुत्र थे जो अपने माता-पिता की भांति महान शिल्पकार हुए, इस सृष्टि में अनेकों प्रकार के निर्माण इन्हीं के द्वारा हुए। देवताओं का स्वर्ग हो या रावण की सोने की लंका या भगवान कृष्ण की द्वारिका और पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर, इन सभी राजधानियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही किया गया है, जो कि वास्तुकला की अद्भुत मिशाल है। विश्वकर्मा जी को औजारों का देवता भी कहा जाता है। महर्षि दधीचि द्वारा दी गई उनकी हड्डियों से ही विश्वकर्माजी ने ‘बज्र’ का निर्माण किया है, जो कि देवताओं के राजा इंद्र का प्रमुख हथियार है। कार्यक्रम के अंत में प्रवीण कुमार ने कहा कि ओजोन परत सूर्य की उच्च आवृत्ति के पराबैगनी किरणों की 93 से 99% मात्रा को अवशोषित कर लेता है क्योंकि यह पराबैंगनी प्रकाश पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक है इस कारण ओजोन परत के अभाव में पृथ्वी पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी के जैविक जीवन को अत्यधिक क्षति पहुंचती है। कार्यक्रम में अमित कुमार, मनीष खाली, अनूप गुप्ता ,दीपक कुमार, काजल, सिमरन, हेमा जोशी, लीना शर्मा आदि उपस्थित रहे।