UPSC सिविल सेवा परीक्षा का पाठ्यक्रम विस्तृत है और यह बहुचरणी परीक्षा है, जिसके प्रत्येक चरण की प्रकृति भी विशिष्ठ है। इसे विस्तार से सरल भाषा में समझने के लिए आज हमारे साथ हैं संस्कृति IAS Coaching के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अखिल मूर्ति सर।
सर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को दो दशक से अधिक समय से पढ़ा रहे हैं। सर इतिहास (सामान्य अध्ययन एवं वैकल्पिक विषय) पढ़ाते हैं। वतर्मान में सर संस्कृति IAS कोचिंग में पढ़ा रहे हैं, जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं।
संस्कृति IAS Coaching के अखिल मूर्ति सर से पहला प्रश्न था कि सिविल सेवा की तैयारी की उचित रणनीति क्या होनी चाहिए?
सर ने अपने जबाव में कहा कि इस परीक्षा में लिखित, मौखिक और व्यावहारिक तीनों माध्यमों में अभिव्यक्ति करनी होती है। ध्यातव्य है कि चयन की पहली शर्त पढ़ाई है तो दूसरी शर्त अभिव्यक्ति। अभ्यर्थी की किसी भी एक पक्ष में कमजोरी उसे चयनित होने से रोक सकती है। यानी अभ्यर्थियों को स्मार्ट स्टडी करनी होगी।
चर्चा को आगे बढाते हुए पूछा कि कितनी पढ़ाई करें कि चयन हो जाए?
सर जबाव देते हुए कहा कि ज्ञान सूचनाओं से बढ़ता है और सूचनाएं अध्ययन से। अध्ययन के दो तरीके हैं। पहला, देखकर पढ़ना; दूसरा सुनकर पढ़ना। ज्ञान वही है, जो व्यवहार में उतर जाए एवं जिसकी अभिव्यक्ति की जा सके। ठीक इसी प्रकार UPSC तीनों चरणों (प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार) में अलग-अलग अभिव्यक्ति के माध्यमों से ज्ञान की जाँच करता है। हर व्यक्ति की उत्पादकता अलग-अलग होती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि तैयारी संतुलित होनी चाहिए।
अखिल सर से पूछा कि पढ़ाई के साथ और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अखिल सर ने कहा कि पढ़ लेने से उम्मीदवार के पास सूचनाएं अवश्य बढ़ जाती हैं। लेकिन इन सूचनाओं को अपने ज्ञान का हिस्सा बनाने के लिए निम्नलिखित अन्य पक्ष भी जरूरी हैं-
- पढ़ने के साथ चिंतन-मनन आवश्यक है, जो पढ़ी हुई बातों को समझ में बदल देता है।
- तार्किक एवं निर्णयन क्षमता भी मजबूत होनी चाहिए, जो खास तौर पर बहुविकल्पीय प्रश्नों को हल करने में मदद करती है।
- समझ एवं विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल भी होना चाहिए। चूंकि मुख्य परीक्षा में हमारी उत्तर पुस्तिका ही हमारा प्रतिनिधित्व करती है।
- प्रस्तुतिकरण विशिष्ट हो एवं पढ़ने के साथ लेखन शैली भी मज़बूत हो।
- व्यावहारिक पक्ष संतुलित एवं मजबूत हो। साक्षात्कार में परीक्षक ऐसे ही कुछ आधारों से अभ्यर्थी का मूल्यांकन करते हैं।
- पढ़ने के क्रम में उम्मीदवार को मशीन नहीं बनना है। पढाई के साथ स्वास्थ्य एवं मनोरंजन भी जरूरी हैं।
चर्चा समाप्त करते हुए सर ने कहा कि तैयारी में सम्पूर्णता समग्रता एवं संतुलन से आती है। अंतिम रूप से चयन सूची में सम्मिलित होने के लिए उम्मीदवार को पढ़ाई के अतिरिक्त उक्त पक्षों के साथ ज्ञान और अभिव्यक्ति में संतुलन साधना चाहिए। यदि इन बिन्दुओं को अपनी रणनीति में शामिल करते हैं तो निश्चित ही आपके सफल होने की सम्भावना बढ़ जायेगी।