सम्पादक :- दीपक मदान
एस एम जे एन पी जी कालेज द्वारा आज विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर गौरैया संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य करने के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पक्षी वैज्ञानिक डॉ विनय कुमार सेठी,
एस एम जे एन पी जी कॉलेज के पर्यावरणविद डॉ विजय शर्मा तथा गौरव बंसल को सम्मानित किया गया। गौरैया संरक्षण में मुख्य भूमिका निभाने तथा संरक्षण कार्य के सुखद परिणाम मिलने पर कॉलेज परिवार द्वारा विनय सेठी को गौरेया ‘की’ ( गौरेया चाबी) देकर सम्मानित किया गया। डॉ विनय कुमार सेठी लंबे समय से गौरैया संरक्षण के लिए घोंसले बनाकर एक सामाजिक अलख जगाए हुए हैं। वहीं महाविद्यालय का पर्यावरण प्रकोष्ठ भी पिछले तीन वर्षो से निरन्तर गौरेया के लिए घौंसलें बना विभिन्न स्थानों पर लगा कर गौरेया संरक्षण में अपना योगदान दे रहा हैं । इस अवसर पर डॉ विनय सेठी ने कहा कि गौरेया विलुप्त प्रायः सी हो गईं हैं। शहरीकरण एवं पेड़ों के कटने से घरों के आंगन में फुदकने और चहकने वाली गौरेया देखने को नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में गौरेया-संरक्षण के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने डॉ विनय सेठी तथा कॉलेज परिवार द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ विजय शर्मा तथा पर्यावरण प्रहरी गौरव बंसल द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए चलायी जा रहीं इस मुहीम की भूरि भूरि प्रशंसा की । इस अवसर पर प्राचार्य प्रो सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गौरेया एक छोटी चिड़िया मात्र नहीं है अपितु यह हमारे साहित्य, कला व संस्कार में रची बसी है. आज इसकी संख्या समाप्त हो रही है जो मानव समाज विशेषकर पर्यावरण के लिए एक गम्भीर संकट हैं इसके संरक्षण, संवर्धन की जिम्मेदारी प्रत्येक मानव की है । इस के लिए हमें मिल कर संरक्षण-संवर्धन का संकल्प लेंने की आवश्यकता है तभी हम इसके अस्तित्व को बचा सकते हैं। डाॅ बत्रा ने बताया कि पिछले कुछ समय से गौरैया को लेकर लोगों की जागरूकता में इजाफा हुआ है। शहरों में लोग चिड़ियाओं के लिए घोंसले लगा रहे हैं। इससे गौरेया संरक्षण की मुहिम को सम्बल मिला है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ संजय माहेश्वरी ने गौरैया संरक्षण के इस प्रयास के लिए सभी के प्रयासों की प्रशंसा की।