सम्पादक :- दीपक मदान
आज दिनांक 2 अक्टूबर 2024 को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सेक्टर 2 रानीपुर भेल हरिद्वार में गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती धूमधाम से मनाई गई । कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य लोकेंद्र दत्त अंथवाल एवं सरस्वती शिशु मंदिर रानीपुर के प्रधानाचार्य कमल सिंह रावत ने सामूहिक रूप से मां सरस्वती तथा गांधी जी एवं शास्त्री के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन द्वारा किया। कार्यक्रम में विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रवीण कुमार ने महात्मा गांधी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और माता थीं पुतली बाई। उनका विवाह 13 वर्ष कि अवस्था में कस्तूरबा के साथ हो गया था। वे गुजरात के रहने वाले थे। मेट्रिक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे आगे वकालत पढ़ने विदेश चले गये। वहां से लौटने के बाद उन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई। सत्य अहिंसा का मार्ग अपना के उन्होने इतिहास में अपने नाम को सुनहरे अक्षरों मे दर्ज कराया और महात्मा, राष्ट्रपिता जैसी उपाधियां प्राप्त की। लोग इन्हे प्यार से बापू बुलाते थे। हमें इनसे अहिंसा का पाठ पढ़ना चाहिये और यह सीखना चाहिये कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिये।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में शिशु मंदिर के आचार्य गंगाप्रसाद ने लाल बहादुर शास्त्री के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का रामदुलारी था। लाल बहादुर शास्त्री का पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री श्रीवास्तव था इनके पिता एक शिक्षक थे लाल बहादुर शास्त्री को घर में प्यार से नन्हे बुलाया था क्योंकि वह सभी भाई बहनों में छोटे थे लाल बहादुर शास्त्री के बारे में कहा जाता कि वह अपने स्कूल में पढ़ाई करने के लिए नदी पार करके जाया करते थे | बाल अवस्था से पढ़ाई में काफी मेधावी थे शास्त्री क्रांतिकारी विचारधारा के व्यक्ति थे वह गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल पटेल को अपना आदर्श मानते थे महात्मा गांधी के द्वारा दिए करो और मारो के नारों से वह काफी प्रभावित हुए और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गए जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था । देश आजादी के बाद जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु 1964 में हो गई तो उसके बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री बन गए उनके कार्यकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था उन्होंने भारतीय सेवा को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत शांतिप्रिय देश है’ लेकिन अगर कोई व्यक्ति भारत के सीमाओं का उल्लंघन करने का कोशिश करेगा तो उसका मुंह तोड़ जवाब देगा उन्होंने जय जवान जय किसान का भी नारा दिया था भारत-पाकिस्तान युद्ध के उपरांत ताशकंद समझौते के लिए रुस गए थे जहां पर रहस्यमय तरीके से उनकी मृत्यु हो गई जो आज तक राज्य का विषय बना हुआ है ।लाल बहादुर शास्त्री हमेशा देश के लिये बलिदान और सच्ची देश भक्ती के लिये जाने जाएंगे। मरणोपरांत इन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम अधिकारी दीपक कुमार के नेतृत्व में स्वच्छता कार्यक्रम में भाग लिया, रंगोली बनाई, रैली निकाली तथा विद्यालय परिसर की स्वच्छता की।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सभी भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि
गांधी जी एक महान नेता, एक दयालु इंसान, एक अनुकरणीय दूरदर्शी, एक प्रेरणा! महात्मा गांधी का वर्णन करने के लिए किसी के पास शब्द कम पड़ जाएंगे। उन्होंने कहा था कि सौम्य तरीके से आप दुनिया को हिला सकते हैं और उन्होंने बिल्कुल यही किया। वह अपने सिद्धांतों पर खरे रहे और अपने तरीकों और विचारधाराओं से दुनिया को हिलाकर रख दिया। 2 अक्टूबर, गांधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसका उद्देश्य शिक्षा और अन्य जन जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से अहिंसा के विचार को फैलाना है । उनकी शिक्षाओं ने समाज पर प्रभाव डाला है। इस गांधी जयंती पर आइए उन चार चीजों पर नजर डालें जो हम सभी को महात्मा गांधी एवम शास्त्री जी से सीखनी चाहिए। अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी,क्षमा और दृढ़ता। शास्त्री जी ने हमे जय जवान जय किसान का नारा दिया जिसके बाद भारत मे सैनिक शक्ति एवम किसानों को और अधिक फसल उत्पादन में प्रोत्साहन मिला। कार्यक्रम के अंत मे विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सभी विद्यार्थियों एवम समस्त आचार्य परिवार को गांधी जयंती एवम शास्त्री जयंती पर शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में विद्यालय का समस्त आचार्य परिवार उपस्थित रहा।