December 24, 2024 1:47 am

December 24, 2024 1:47 am

श्रीतुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से हो रही श्रीमद् भागवत कथा में पूज्य संतों का समागम

श्रीतुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से प्रतापगढ़ में महंत रामचन्द्र दास जी की जन्मभूमि, रामपुर खागल में हो रही दिव्य, अलौकिक और अद्भुत श्रीमद् भागवत कथा में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी और अनेकानेक पूज्य संतों ने सहभाग किया। प्रतापगढ़ की धरती भारत के प्रसिद्ध संत करपात्री जी महाराज, कृपालु जी महाराज और अन्य पूज्य संतों व महापुरूषों की धरती है।

महाकुम्भ प्रयागराज से पहले जिला प्रतापगढ़ में भक्ति महाकुम्भ के दिव्य दर्शन


प्रतापगढ़ में महंत रामचन्द्र दास जी की जन्मभूमि रामपुर, खागल में महाकुम्भ प्रयागराज से पहले भक्तिकुम्भ का दिव्य, अलौकिक और अद्भुत आयोजन


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी, सतुआ बाबा जी, महंत रामचन्द्र दास जी, स्वामी विवेकानन्द जी, महंत धर्मदास जी, महंत राजू दास जी, महंत मदन मोहन दास जी, महंत अजय दास जी एवं अनेकानेक पूज्य संतों का पावन सान्निध्य

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ज्ञान के चलित पुंज और संस्कृति के संरक्षक हैं। उनके श्री मुख से गाई गई कथाएं और प्रवचन न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि धर्म और अध्यात्म की गहराइयों में उतरने के लिए सभी को प्रेरित करती हैं। उनकी वाणी में वह शक्ति है जो हमारे जीवन में शांति और संतुलन ला सकती है।

उनके प्रेरक उपदेश धर्म और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन दिव्य संदेश देते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन धर्म हमारी संस्कृति की नींव है। इसका संरक्षण और सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। यह केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है जो हमें नैतिकता, सहनशीलता और भाईचारे का मार्ग दिखाती है।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन है तो संरक्षण है, सनातन है तो सुरक्षा है, सनातन है तो संस्कृति है, सनातन है तो संस्कार है, सनातन है तो विश्व शांति है, सनातन है तो बंधुत्व है, सनातन है तो कुम्भ है, सनातन है तो कथा है, सनातन है तो मानवता है इसलिये सनातन धर्म के उपासक जुड़ें रहें और जोड़ें रखें।
स्वामी जी ने कहा कि महाकुम्भ प्रयागराज से पूर्व उत्तर प्रदेश, जिला प्रतापगढ़ में भक्ति महाकुम्भ का दिव्य दर्शन है। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के श्री मुख से हो रही श्रीमद् भागवत कथा में पूज्य संतों का महाकुम्भ लगा है। वास्तव में यह पल दिव्य, अलौकिक, अद्भुत और अविस्मरणीय है। यह वास्तव में महाकुम्भ का दिव्य आगाज़ है।

इस अवसर पर योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के जीवन की हर श्वास से श्रीमद् भागवत कथा के दिव्य मंत्र और रामचरित्र मानस की चौपाईयों का सार प्रकट होता हैं। उनके जीवन की हर कृति सनातन धर्म की परंपराओं और मूल्यों की सजीव अभिव्यक्ति है।

स्वामी रामदेव जी ने आगे कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य जी का सम्पूर्ण जीवन एक आदर्श उदाहरण है। उनकी शिक्षाएं और उनके आदर्श हमारे लिए धर्म और      संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक हैं।

स्वामी जी की उपस्थिति मात्र से ही वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो सभी को अपने धर्म और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है। उनके जीवन का हर पल, हर श्वास हमें यह सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन को धर्म और संस्कृति के मार्ग पर ले जा सकते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और स्वामी रामदेव जी ने स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

इस अवसर पर स्वामी रामचरण दास जी, आचार्य दीपक शर्मा जी और अन्य संत-महंत, विशिष्ट अतिथियों एवं विभूतियों ने सहभाग किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *