सम्पादक :- दीपक मदान
आज दिनांक 9 नवंबर 2024 को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सेक्टर 2 रानीपुर भेल हरिद्वार में उत्तराखंड स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया।विद्यालय के प्रधानाचार्य लोकेंद्र दत्त अंथवाल ने वर्चुअल रूप से सभी विद्यार्थियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर हार्दिक बधाई दी । उन्होंने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है, जो बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे जंगलों और चमचमाती नदियों से भरी है। इसे ‘देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘देवताओं की भूमि’। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा राज्य कई पवित्र मंदिरों और पवित्र स्थानों का घर है। आज 24वीं वर्षगांठ पर विद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रवीण कुमार ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन द्वारा किया । कार्यक्रम का संचालन अमित ने किया अमित ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर कहीं वर्षों चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को 27 में राज्य के रूप में भारत गणराज्य में शामिल किया गया प्रारंभ में 2000 से लेकर 2007 तक इस उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था लेकिन 2007 के बाद लोगों के भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। लेकिन उत्तराखंड सिर्फ सुंदरता और देवताओं के बारे में नहीं है। यह यहां रहने वाले मेहनती लोगों के बारे में भी है। हमारे किसान, शिक्षक, सैनिक और कई अन्य लोग हमारे राज्य को समृद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम करते हैं। स्थापना दिवस पर हम इन लोगों को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद और सम्मान देते हैं।हम इस दिन का उपयोग अपने इतिहास, अपनी संस्कृति और अपनी परंपराओं को याद करने के लिए भी करते हैं। हम मेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कई अन्य कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। हम गाते हैं, नृत्य करते हैं और पारंपरिक भोजन का आनंद लेते हैं। इससे हमें अपनी संस्कृति को जीवित रखने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलती है। कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यालय के आचार्य अनुज ने भी उत्तराखंड स्थापना दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किया अपने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा किआज ही के दिन साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुआ था। यह हमारे लोगों के लिए खुशी का दिन था, जिन्होंने लंबे समय से एक अलग राज्य का सपना देखा था जहां वे खुद पर शासन कर सकें, अपनी अनूठी संस्कृति की रक्षा कर सकें और अपने विकास की दिशा में काम कर सकें। उत्तराखंड का गठन कई लोगों के लिए एक सपने के सच होने जैसा था और यह दिन उस खुशी के पल की याद दिलाता है।लेकिन, उत्तराखंड स्थापना दिवस सिर्फ अपने अतीत का जश्न मनाने के बारे में नहीं है। यह हमारे भविष्य की ओर देखने के बारे में भी है। यह हमारी प्रगति पर विचार करने, हमारी उपलब्धियों को स्वीकार करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने का दिन है जहां हमें और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। यह उत्तराखंड को एक ऐसा राज्य बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का दिन है जो हमारे देश के इतिहास के इतिहास में उज्ज्वल रूप से चमकता है। इस दिन मेहनती पुरुषों और महिलाओं, किसानों, सैनिकों, शिक्षकों, कलाकारों और उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करें जिन्होंने उत्तराखंड को एक अद्भुत राज्य बनाने में योगदान दिया। एकता और भाईचारे की भावना को भी याद रखें जो हमारे मतभेदों के बावजूद हम सभी को बांधती है। उत्तराखंड स्थापना दिवस उत्सव, चिंतन और संकल्प का दिन है। यह हमारे अतीत का जश्न मनाने, अपने वर्तमान पर चिंतन करने और बेहतर भविष्य के लिए संकल्प लेने का दिन है। आज के दिन विद्यालय में उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर निबंध प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता एवम पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही विद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी दीपक कुमार धीमान द्वारा इस अवसर पर रैली निकालकर आसपास के समाज को ग्रीन उत्तराखंड तथा क्लीन उत्तराखंड के स्लोगन द्वारा जागरूक किया गया साथ ही गंगा स्वच्छता कार्यक्रम में भी भाग लिया। कार्यक्रम में विद्यालय का समस्त परिवार उपस्थित रहा।