December 24, 2024 1:33 am

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मुर्दों से है पुनर्जन्म का रिश्ता :- क्रांतिकारी शालू सैनी।

सम्पादक :- दीपक मदान

रुड़की।एक को शमशान घाट तो दूसरे को कब्रिस्तान से अंतिम बिदाई लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी ने विधि-विधान से धर्मानुसार उनका अंतिम संस्कार किया।हर आम व खास के मुख पर लावारिसों की वारिस के नाम से चर्चाओं में रहने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं,जिन्होंने हर रोज की तरह आज भी उनके द्वारा फिर से मुस्लिम व हिन्दू दो लावारिसों को अपना नाम देकर अंतिम संस्कार किया गया।मुस्लिम शव को मुस्लिम रिति-रिवाज के तहत कब्रिस्तान में दफनाया गया तो,वहीं हिन्दू शव को हिन्दू रिति-रिवाज के तहत उसकी बडी बहन बन के पंच तत्वों में विलीन किया।पिछले कई वर्षों से लावारिस पुण्य आत्माओं का अंतिम संस्कार करना व वृद्ध जनों का सहारा बनने के लिए खुद को समर्पित किया हुआ है।शालू सैनी ने इसके साथ ही हर विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने दो बच्चों का भी लालन पालन कर रही है।उनकी शिक्षा व दीक्षा का भी ध्यान रखकर खुद ही सभी संकटों का सामना करती है।आज के दौर में अपना ही अपनों से दूर भागता दिखाई देता है,मगर लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी मानों एक फरिश्ता बनकर ही इस धरती पर आई और बेसहारा लोगों का सहारा बनकर मोह माया का मोह छोडकर उनको भगवान की सेवा में लीन रहने के लिए भी प्रेरित करती है।समाज सेवा के नाम पर अपनी सेवा तो तमाम सेवादारों को देखा गया है,मगर लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा ही समाज सेवा का असली चेहरा जनता जनार्दन के सामने लेकर आई है,जिसके लिए वह आज देश-प्रदेश में अनेकों स्थानों पर सम्मानित हुई है और महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनी हुई है।शालू ने जनता से भी अपील की है कि उनकी इस सेवा में उन्हें मदद जरूर करे।लकड़ी से,घी से,कफन से,सामग्री से एम्बुलेंस से,गाड़ी से जैसे भी इच्छा हो हमारे छोटे से प्रयास से हर मृतक को कफन नसीब हो सकता है।

 

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