– अमित गुप्ता
* हरिद्वार का खुद को भाजपा से जुड़ा बताने वाला छुटभईया नेता भी डेमोग्राफी बदलाव की साजिश में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है।
हरिद्वार। नगर निकाय चुनाव में राज्य मे डेमोग्राफी बदलाव भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। जिस तरह से पिछले दिनों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग में डेमोग्राफी बदलाव को लेकर बवाल चलता रहा उससे भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बना सकती है। मगर बड़ा सवाल यह है की राज्य मे लैंड जिहाद, लव जिहाद के लिए किसको जिम्मेदार ठहराया जाए।
भाजपा जोर शोर से इन मुद्दों को उठाकर सियासी फायदा लेती आई है मगर इसके लिए कुछ हद तक भाजपा से ही जुड़े कुछ लोग अपने स्वार्थों के चलते राज्य में सुदूर पर्वतीय इलाकों तक शंतिप्रिय समुदाय के लोगों को बसाने में लगे हुए हैं, जिससे ना केवल राज्य में डेमोग्राफिक बदलाव हो रहा है वरन् इससे राज्य की शांति भी भंग हो रही है। यही नहीं सरहदी इलाकों में तो डेमोग्राफी बदलाव के भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते है.
उत्तराखंड मे तेजी के साथ डेमोग्राफी मे बदलाव होता जा रहा है। सुदूर पर्वतीय शहरों मे समुदाय विशेष के लोग बड़ी संख्या मे बसते जा रहे हैं। इसके लिए राज्य में पलायन तो एक कारण है ही, साथ ही कुछ बेहद स्वार्थी लोग भी इसकी एक बड़ी वज़ह है जो अपने फायदे के लिए समुदाय विशेष के लोगों को काम के नाम पर मजदूरों के रूप पहाड़ों पर ले जा रहे हैं और फिर ये लोग धीरे धीरे वही पर बसते जा रहे हैं।
हरिद्वार में भाजपा से जुडा एक नेता भी इसमें अपनी बड़ी भूमिका निभा रहा है। कहा जा रहा है कि हरिद्वार का यह नेता अपने बिजली विभाग में ठेकेदारी के काम के लिए मैदानी क्षेत्रों से समुदाय विशेष के लोगों को ही मजदूर के रूप मे ऊपर ले जाता है। कई बार नगर पालिका और निगम में सभासद व पार्षद पद पर चुनाव लड़ चुके इस नेता के चमोली और पौड़ी जिले में करोड़ो रुपए के ठेके चल रहे हैं। जिनमें यह लेबर के रूप में डेढ़ सौ से ज्यादा समुदाय विशेष के मजदूरों को वहां पर काम पर लगाया हुआ है।
ये सभी मैदानी इलाकों से गए हैं, जो वंहा पर लेबर का काम करने के साथ साथ डेमोग्राफी बदलाव की साजिश भी रच रहे हैं। जानकरी तो यह भी है कि पिछले दिनों उत्तराकाशी मे बवाल में शामिल जिस समुदाय विशेष के एक व्यक्ति का नाम सामने आया था उसका भाई भी इन मजदूरों मे शामिल था जिसे लेकर भाजपा का यह नेता पहाड़ चढ़ा था।जानकारी मिली है डेढ़ सौ से ज़्यादा समुदाय विशेष की लेबर लेकर जाने की ख़ुफ़िया जानकारी के बाद प्रशासन इसकी जांच करवा रहे हैं।
भाजपा की धामी सरकार वैसे भी राज्य मे डेमोग्राफीक बदलाव को लेकर काफी गंभीर है और राज्य मे लैंड जिहाद को लेकर कई बड़ी कार्रवाई भी कर चुकी है, मगर भाजपा के यह छुटभैये नेता अपने स्वार्थों के चलते राज्य कि फ़ज़ा को ख़राब करने मे जुटे हुए हैं।
भाजपा का यह नेता तीन चार बार स्थानीय निकाय के चुनाव भाजपा के टिकट पर और एक बार निर्दलीय भी लड़ चुका है। भाजपा के सूत्र बता रहे हैं कि इस बार भी नगर निगम मेयर के चुनाव की तैयारी में था मगर हरिद्वार निगम मेयर कि सीट आरक्षित हो जाने के कारण उसके मंसूबो पर पानी फिर गया था। इसके बाद उसने पार्षद पद के लिए टिकट के लिए कोशिश शुरू की तो उसकी हरकतों के चलते भाजपा ने उससे किनारा करना ही बेहतर समझा। जानकरी मिली है कि भाजपा संगठन ने उसे टिकट के लिए साफ साफ मना कर दिया था। राज्य मे भाजपा की धामी सरकार डेमोग्राफी बदलाव को लेकर काफी गंभीर है। राज्य सरकार को ऐसे तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।