डॉ हिमांशु द्विवेदी
हरिद्वार। नाबालिग हॉकी खिलाड़ी से हरिद्वार मे दुष्कर्म की घटना ने खेल जगत को हिलाकर रख दिया है। कलयुग में कोच यानी गुरु पर से महिलाओं का विश्वास उठने लगा है।
महिला हॉकी खिलाड़ी के साथ दुष्कर्म करने वाले कोच भानु प्रकाश ने न जाने कितनी प्रतिभाओं के साथ घिनौनी हरकत की होगी। उससे खेल जगत में कोच से विश्वास उठने लगा है। महिला खिलाडी अपने भविष्य के भय से मुँह नही खोलती हैं, वहीं महिलाएं अब खेल में आगे बढ़ने से संकोच भी कर सकती हैं। इसी के साथ परिवार भी उन्हें खेलों की ओर जाने की इजाज़त से परहेज करेगा। नतीजा देश में महिला खिलाड़ियों की एक दिन कमी खलेगी।
यह तो बहुत छोटे स्तर नेशनल खेलों से जुड़ा मामला है। यदि बात करें तोअंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी प्रकार की घटनाएं होने की संभावना बनी रहती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो महिला खिलाड़ी अपना कैरियर समाप्त होने के भय से शायद मुंह नहीं खोलती होंगी। भारत में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं दिखाई दे रही है। देश का नाम रोशन करने वाली महिला खिलाडी प्रतिभाओं पर ऐसी घटनाओं से रोक लगने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रीय खिलाड़ी हो या अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, बिना कोच के आगे नहीं बढ़ पाती हैं। यदि समय रहते सरकारों ने इस सिलसिले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वह दिन दूर नहीं की महिलाएं खेल से दूर हो जाएंगी। देश फिर पचास साल पीछे चला जाएगा। जब महिलाएं घर की चारदीवारी में कैद रहती थी।
5 जनवरी 25 को नाबालिग हॉकी खिलाड़ी से उसके कोच ने दुष्कर्म को अंजाम देकर महिला के आत्म सम्मान को रौंद डाला। यह घटना उसे समय हुई जब हरिद्वार में नेशनल महिला हॉकी खिलाड़ियों का चयन हो रहा था। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया। पीड़िता को टीम में सिलेक्शन का झांसा देकर कोच भानु प्रताप ने अपनी हवस का शिकार बनाया।
घटना का संज्ञान लेकर उत्तराखंड महिला आयोग ने एसएसपी को निर्देश दिए ताकि सख्त कार्रवाई हो सके वहीं खेल मंत्री रेखा आर्य भी पीड़िता से मिलने हरिद्वार पहुँची और उन्होंने कोच को बर्खास्त कर इसकी डिग्री को समाप्त करने की अनुशंसा की है।